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इन आलू की खेती से किसान हो जाएगा मालोमाल, ऐसे करें खेती

श्रीनगर गढ़वाल: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में किसान अब पारंपरिक फसलों की बजाय नकदी फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, और इसका प्रत्यक्ष लाभ उन्हें मिल रहा है। जनपद पौड़ी गढ़वाल के थलीसैंण विकासखंड के सलोन गांव के किसान भी इस बदलाव का हिस्सा बन चुके हैं, जहां आलू और अन्य मौसमी सब्जियों की खेती तेजी से बढ़ रही है।

आलू उत्पादन में वृद्धि:

सलोन गांव अब जनपद में आलू उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन रहा है। थलीसैंण ब्लॉक में 320 हेक्टेयर भूमि पर 4762 मीट्रिक टन आलू की पैदावार हो रही है। यहां की मिट्टी में सिलिका की प्रचुर मात्रा है, जो आलू, चुकंदर और प्याज की खेती के लिए आदर्श है।

उत्पादन और लाभ:

सलोन गांव के किसान दिलीप सिंह ने बताया कि इस बार उनकी आलू की पैदावार उत्कृष्ट रही है और उन्हें प्रति किलो आलू के 22 रुपये तक मिल रहे हैं, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है। उन्होंने उल्लेख किया कि जब आलू की पैदावार अधिक होती है और बाजार में खपत कम होती है, तो कोल्ड स्टोर की आवश्यकता होती है ताकि आलू सुरक्षित रखा जा सके।

पारंपरिक कृषि से बदलाव:

किसान सहन सिंह के अनुसार, उनके क्षेत्र में आलू की पैदावार बहुत अच्छी होती है और नकदी फसलों की खेती से मुनाफा अधिक होता है। इसलिए, लोग पारंपरिक कृषि छोड़कर सब्जियों और अन्य नकदी फसलों की खेती कर रहे हैं। सरकार भी किसानों के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है जो उन्हें इस बदलाव को अपनाने में सहायता कर रही हैं।

कोल्ड स्टोरेज की योजना:

जिला उद्यान अधिकारी राजेश तिवारी ने जानकारी दी कि सलोन गांव में जल्द ही कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था की जाएगी। इससे किसानों को अपने आलू को लंबे समय तक सुरक्षित रखने और मुनाफा बढ़ाने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष:

सलोन गांव के किसानों द्वारा आलू की खेती में सफलता ने साबित कर दिया है कि पहाड़ी क्षेत्रों में भी आधुनिक कृषि पद्धतियों और नकदी फसलों को अपनाकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। यह न केवल किसानों की तकदीर बदल रहा है बल्कि पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि के भविष्य के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल भी प्रस्तुत कर रहा है।

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